पुष्प
***पुष्प***
मेरा खिलता यौवन देख
सारा जग खिल जाए
मेरी खुश्बू जो ले
वह मेरे ही गुण गाये
देख मुझे काँटों में
हर कोई मुस्कराकर मझको
अपने हाथों में लेना चाहे
अपनी प्रेसी के जैसे
हर कोई मुझको चाहे
मै वो ही हूँ जो
दो दिलो को मिलाये
पिया प्रेम पाने को
हर सुहागन मुझको तो
अपनी सेज़ पर सजाये
जग छोड जब इसां
बिधाता के घर जाये
तव मुझको वह अपनी
अर्थी पर भी सजवाये
ठीक उसी तरह से
जब दुल्हन पिया घर आये
मेरा खिलता———–
***दिनेश कुमार गंगवार ***