पुष्प ,सुमन , फूल
फूल ,पुष्य ,सुमन पर कविता
हे इन्सान !
में एक बगीचे का फूल
तेरी चरणों का बना धूल ।
तोड़कर मुझे फेक देता
खुशबु लेकर इठलाता
यह तेरी कैसी है भूल ।
मेरी खुशबु यह बयार
जो तेरे प्राणों का प्यार
सब दिशाओं में महकाता ।
कभी बागों में ,कभी घर में ,और कभी बालों में गजरा बन जाता ।
फिर भी तू कितना इठलाता ।
और मैं ,तेरी दीदार में महकाता
मैं तोहफा बनकर रूठा आशिक यार बनाता ।
लाल ,पीला ,गुलाबी ,नीला सब रंग में अम्बर को भाता ।
मेरी प्याऱी प्यारी कलियां ,
सबके मन की मनोहर तितलियाँ सबके दिल को लुभाता ।
मैं कितना कोमल ,कितना नाजुक,, खुशबु छोड़कर फिजा में सबको अपने पास बुलाता ।
हां में एक सूरजमुखी
और तेरा चंद्रमुखी
में तुझे ऊर्जा का तेल देता ।
में एक गुलाब का फूल
तेरे होठो जैसी फँखुडिया
पर में कांटो में खिलता ।
जैसे तेरी गुलाबी जबान
कठोर दांतो में रहती ।
इसलिए हे मानव !
तू मुझे बस भारत माता की सेवा में जो वीर शहीद हुए ,
उस पर फेक आता ,
तो मैं मिट्टी में पैदा हुआ
और मिट्टी में ही मिल जाता
में शहीद हुए उनके साथ ही
भारत माँ की गोद में ही समा जाता ।
✍✍प्रवीण शर्मा ताल
स्वरचित कापीराइट कविता
टी एल एम् ग्रुप संचालक ताल
दिनाक 03/04/2018
मोबाइल नंबर 9165996865