“नन्हें-मुन्हें प्यारे बच्चों”
नन्हें- मुन्हें,प्यारे बच्चों,
तुम दिल के हो न्यारे बच्चों,
अपने प्यारी-प्यारी बातों से,
सबके मन को भाते हो,
तुम्हें बुलायें मम्मी-पापा,
दौड़ बाहों में लिपट जाते हो,
उंगली पकड़, मम्मी-पापा का,
मेला देखने जाते हो,
रंग-बिरंगे, खेल-खिलौने,
देख उन्हें लुभाते हो।
पढ़- लिखकर हे बच्चों तुम ही,
देश का कर्णधार बनोगे,
अपने मम्मी-पापा के,
सपनो का आधार बनोगे,
तुम्हीं डॉक्टर, तुम्हीं इंजीनियर,
तुम्हीं देश का किसान बनोगे,
तुम्हीं सीमा पर लड़ने वाले,
देश के वीर जवान बनोगे ।।
बाल कविता
✍वर्षा (एक काव्य संग्रह)से/ राकेश चौरसिया”अंक”