*”पुलवामा के शहीद”*
“पुलवामा के शहीद”
देश की खातिर मर मिटने ,मोहब्बतें इस कदर निभाते गये।
वीर शहादत पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर, अश्रु नयन बहा गए।
ना जाने कितनी मासूमियतों ने ,दर्द पीड़ा कराहते गए।
तिरंगे की शान में लिपटा पार्थिव शरीर ,विश्व जगत रुला गए।
अंतिम सांसो तक लड़ते हुए , अमन चैन दिला गए।
शहादत में पिता ,पुत्र ,भाइयों ने ,अपनी जान की बाजी लगा गए।
धन्य धन्य हो भारत के लाल ,अमर योद्धा कहला गए।
वतन की माटी का तिलक लगा ,जज्बातों को गले लगा गए।
सरहदें पार कर प्राण न्यौछावर ,कुर्बानी देने चले गए।
आँखे नम श्रद्धा सुमन अर्पित ,डगर पे बिछाते चले गए।
सीमाओं में खड़े होकर सीना ताने ,हमें जिंदादिली सीखा गए।
अमर कहानी याद दिलाती , हमें जीने की कला बतला गए।
अंतिम सफर पे चलते हुए इतिहास में नाम अमर करते चले गए।
छोड़ गये दर्द की दास्तां ,इतंजार की घड़ियां छोड़ गए।
खोकर वीर शहीदों की निशानी, अलविदा कहते चले गए।
जय हिंद वन्देमातरम
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