पुराने सिक्के
बचपन के खजाने है,
ये सिक्के पुराने है।
गुजरे हुए जमाने हैं,
खुशियों के बहाने है।
आज करोड़ों पाते है,
गीजर से नहाते है।
एसी कार में जाते है,
तब भी नहीं मुस्कराते है
वो पुराने दिन
याद बहुत आते हैं ।।
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बचपन में पिता ने
कभी गरीब नहीं होने दिया।
आज लाख गुना
उन्नति करने पर भी
उन दिनों की बुलंदी
नहीं छू सका।
एक रुपये का नोट
चिल्लर के साथ,
अपनी गिनती
धनाढ्य लोगो रहती थी।
अब
न पुराने दिन रहे,
न पिता रहे,
न ही इन पैसों का
वजूद।
सतीश सृजन, लखनऊ.