” पुराने साल की बिदाई “
डॉ लक्ष्मण झा परिमल
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पुराने साल तुम जाओ, नये सालों को आने दो !
सुनहरे पल जो बीते थे, उसे इतिहास बनने दो !!
कोई रहता नहीं सबदिन ,सबों को जाना पड़ता है !
बिखर कर गिरते हैं पत्ते, तभी मौसम बदलता है !!
बहुत कुछ था तुम्हें करना, नहीं तुम कुछ ही कर पाए !
गरीबी बन गयी “सुरसा” , उसे तुम रोक ना पाए !!
करेंगे याद तुमको हम ,मंहगी चीज मिलती थी !
नहीं तुम कर सके काबू, जनता इसमें पीसती थी !!
इसी के दौर में तुमने, बहुत की नौकरी खायी !
नहीं तुम दे सके राहत, बहुत कम नौकरी पायी !!
चलो जो कुछ हुआ उसको ,उसे इतिहास ही कह लें !
नये इस साल में हम तो, नया कुछ काम ही कर लें !!
जो गलती की थी हम सबने ,उसे हम फिर ना लायेंगे !
नये भारत की रचना कर , नयी दुनियाँ बसायेंगे !!
पुराने साल तुम जाओ नये सालों को आने दो !
सुनहरे पल जो बीते थे उसे इतिहास बनने दो !!
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डॉ लक्ष्मण झा”परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखण्ड
भारत
29.12.2023