पुराने खत
कुछ जला दिए होंगे उसने
कुछ अभी भी पड़े होंगे
अलमारी के किसी कोने में
है मेरी भावनाएं उनमें
है गवाह मेरे प्यार के वो
जो अभी भी है दफ़न
उसके दिल के किसी कोने में।।
चंद शब्द नहीं थे मेरे खत में
मेरे दिल के जज़्बात थे उनमें
जब जले होंगे वो खत तो
धुएं के गुबार निकले होंगे उनमें।।
छुपाया होगा आंसुओं को फिर
उस धुएं की आड़ में उसने
फिर याद किया होगा मुझको
कम से कम एक बार तो उसने।।
था प्यार बहुत गहरा हमारा
लेकिन नहीं मिला हमको किनारा
जो भी थी मजबूरियां उसकी
लेकिन बेवफ़ा नहीं था प्यार हमारा।।
देती थी सुकून उसकी नजदीकियां
करार भी आता था देखकर उसको
जब था प्यार दोनों तरफ बराबर
क्या मिला होगा उसे भूलकर मुझको।।
मेरे ये खत ही हैं अब यादें
उस सुनहरी समय की
जब बातें होती थी हमारी
अक्सर उससे प्रणय की।।
जलाकर इन बाकी खतों को भी
अब किस्सा ही खत्म कर दो
पुरानी यादों के इस बंधन से भी
अब तुम मुझको मुक्त कर दो।।