पुरानी यादें
पुरानी यादों को आज,
मैंने फिर से निहारा है…..
बिखरे उन डायरी पन्नों को
आज मैंने फिर से संवारा है….
कैसे ..टेड़ी-मेढी शक़्ले बनाकर
हमनें हर तस्वीर को बिगाड़ा है..
जिसे पकड़, हम घुमते थे सारा दिन,
अरे! ये तो उसी आँचल का किनारा है..
भले ही खिलौना अब टूट चुका
मगर आज भी वो हमारा है..
उस रूमाल पे मेरे पाँव का निशान
लगता आज भी कितना प्यारा है..
वो काठ का महज एक संदूक नहीं
हमारी यादों का पिटारा है….
पुरानी यादों को आज,
मैंने फिर से निहारा है….
बिखरे उन डायरी पन्नों को
आज मैंने फिर से संवारा है….
✍ palakshreya