Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Nov 2021 · 1 min read

पुराना फोटो(बाल कविता)

पुराना फोटो(बाल कविता)
■■■■■■■■■■
मिला पुराना फोटो तो मैं बोला
“माँ ! बतलाओ
इस फोटो में कौन-कौन हैं ?
थोडा तो समझाओं”

माँ बोली “यह छुटकू-मुटकू
तुम ही एक बरस के
तुम्हें गोद में दादी ने
खिंचवाया फोटो हँस के

इसको देखो नाम रखा था
यह लम्बू यह छोटू
अगल-बगल टिंगू मिंगू है
रोने वाला रोटू”

मैने नाम लिखे फोटो पर
जो माँ ने बतलाए
माँ बोली “यह ठीक किया
अब तू भी भूल न पाए”
■■■■■■■■■■■■■■■■
रचयिता: रवि प्रकाश, रामपुर

2 Likes · 786 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

रामजी हमारा एहसान मानते हैं
रामजी हमारा एहसान मानते हैं
Sudhir srivastava
मंजिल तक पहुँचने के लिए
मंजिल तक पहुँचने के लिए
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
4236.💐 *पूर्णिका* 💐
4236.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
बेटियों का जीवन_एक समर– गीत।
बेटियों का जीवन_एक समर– गीत।
Abhishek Soni
“हिन्दी का सम्मान”
“हिन्दी का सम्मान”
Neeraj kumar Soni
स्वयं संगीता
स्वयं संगीता
Sakhi
रातें सारी तकते बीतीं
रातें सारी तकते बीतीं
Suryakant Dwivedi
आँखों में अँधियारा छाया...
आँखों में अँधियारा छाया...
डॉ.सीमा अग्रवाल
चेतावनी भजन
चेतावनी भजन
Mangu singh
बेटी
बेटी
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
गाय हमारी माता है
गाय हमारी माता है
Dr Archana Gupta
प्यारा सा स्कूल
प्यारा सा स्कूल
Santosh kumar Miri
बेघर
बेघर
Rajeev Dutta
अगर मैं गलत हूं तो सही कौन है,अगर तू सही है तो गलत कौन है
अगर मैं गलत हूं तो सही कौन है,अगर तू सही है तो गलत कौन है
पूर्वार्थ
हमारे अंदर बहुत संभावना मौजूद है हमें इसे खोने के बजाय हमें
हमारे अंदर बहुत संभावना मौजूद है हमें इसे खोने के बजाय हमें
Ravikesh Jha
अब लगती है शूल सी ,
अब लगती है शूल सी ,
sushil sarna
जिस परिंदे के पंखों में मजबूती होती है।
जिस परिंदे के पंखों में मजबूती होती है।
Dr.sima
वो नए सफर, वो अनजान मुलाकात- इंटरनेट लव
वो नए सफर, वो अनजान मुलाकात- इंटरनेट लव
अमित
झील का पानी
झील का पानी
Kanchan Advaita
रिश्तों की बगिया
रिश्तों की बगिया
Dhananjay Kumar
प्रेरणा - एक विचार
प्रेरणा - एक विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सोरठा छंद
सोरठा छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
तलवारें निकली है तो फिर चल जाने दो।
तलवारें निकली है तो फिर चल जाने दो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
सबकी लड़ाई
सबकी लड़ाई
Shekhar Chandra Mitra
हृदय पुकारे आ रे आ रे , रो रो बुलाती मेघ मल्हारें
हृदय पुकारे आ रे आ रे , रो रो बुलाती मेघ मल्हारें
Dr.Pratibha Prakash
" भींगता बस मैं रहा "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
ऐ ढ़लती हुई शाम,
ऐ ढ़लती हुई शाम,
Shikha Mishra
कलाकारी में भी यूं चार चांद लगाते हैं,
कलाकारी में भी यूं चार चांद लगाते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सीख
सीख
Ashwani Kumar Jaiswal
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
Loading...