Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Aug 2022 · 2 min read

*पुरस्कार नहीं दिया तो पुस्तकें वापस करो (हास्य व्यंग्य)*

पुरस्कार नहीं दिया तो पुस्तकें वापस करो (हास्य व्यंग्य)
__________________________________
मैं इस विचार से पूरी तरह सहमत हूॅं कि अगर कोई संस्थान किसी पुस्तक पर लेखक को पुरस्कार नहीं दे रहा है, तो उसे कम से कम ‘सखेद वापस’ की टिप्पणी के साथ पुस्तकें वापस लौटा देनी चाहिए । एक जमाना था, जब संपादकों के पास लेखक अपनी रचनाऍं प्रकाशन के लिए भेजते थे । उस जमाने में टाइप करने की सुविधा बहुत कम थी। लेखक बेचारे अपने हाथ से रचना लिखकर संपादक के पास डाक से पहुॅंचाया करते थे। जिसकी छप गई, उसने तो छपी हुई पत्रिका रिकॉर्ड में सुरक्षित रख ली। पारिश्रमिक भी मिल गया। लेकिन जिसकी रचना नहीं छपी, वह निराश न हो इसके लिए एक व्यवस्था यह थी कि लेखक की हाथ से लिखी हुई प्रकाशनार्थ रचना लौटती डाक से ‘खेद सहित’ टिप्पणी के साथ वापस लौटा दी जाती थी । डाक-खर्च लेखक की जेब से खर्च हुआ लेकिन कम से कम रचना तो वापस आ गई । अब वह किसी दूसरी पत्रिका में प्रकाशनार्थ भेजने के लिए काम आ सकेगी ।
पुरस्कार में आजकल चार प्रतियॉं मॉंगते हैं । प्रकाशक मुश्किल से पचास प्रतियॉं लेखक को देते हैं । उनमें से भी चार प्रतियॉं एक पुरस्कार-संस्थान हड़प ले, तो कलेजा तो मुॅंह को आएगा ही ! लेखक बेचारा दिल पर पत्थर रखकर चार प्रतियॉं लिफाफे में लपेट कर डाक से भेजता है । महीने-दो महीने पुरस्कार मिलने के सुनहरे सपनों में खोया रहता है । जिनको ज्यादा ही पुरस्कार मिलने की आशा रहती है अथवा यों कहिए कि जिन्हें अपनी कलम पर कुछ अधिक ही विश्वास होता है, वह अपने सम्मान-समारोह तक की सुखद परिकल्पना में डूब जाते हैं।
एक दिन सपना टूटता है । पुरस्कृत लेखकों और उनकी पुस्तकों की सूची प्रकाशित होती है और लेखक के सामने यह कड़वा यथार्थ उपस्थित हो जाता है कि पुरस्कार के चक्कर में उसकी किताब की चार प्रतियॉं डूब गईं। यह ऐसा ही है जैसे शेयर बाजार में किसी ने दॉंव खेला और औंधे मुॅंह गिर गया।
उदाहरण चाहे कुछ भी दे दो, लेकिन सच्चाई यही है कि पुरस्कार न मिलने पर लेखक का दिल अपनी चार गॅंवाई हुई पुस्तकों के लिए रोता है । भैया ! पुरस्कार नहीं दे सकते तो न सही, लेकिन ‘सखेद वापस’ की टिप्पणी के साथ हमारी चारों प्रतियॉ़ तो भेजे गए पते से वापस लौटा दो। आप चार किताबें मार कर बैठ गए ! क्या किया जा सकता है ?
_________________________
लेखक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

214 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
आसान होते संवाद मेरे,
आसान होते संवाद मेरे,
Swara Kumari arya
कोई आदत नहीं
कोई आदत नहीं
Dr fauzia Naseem shad
Know your place in people's lives and act accordingly.
Know your place in people's lives and act accordingly.
पूर्वार्थ
सुबह, दोपहर, शाम,
सुबह, दोपहर, शाम,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
माँ का घर (नवगीत) मातृदिवस पर विशेष
माँ का घर (नवगीत) मातृदिवस पर विशेष
ईश्वर दयाल गोस्वामी
चंद अशआर
चंद अशआर
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
" मन मेरा डोले कभी-कभी "
Chunnu Lal Gupta
वो शिकायत भी मुझसे करता है
वो शिकायत भी मुझसे करता है
Shweta Soni
■ आदी हैं मल-वमन के।।
■ आदी हैं मल-वमन के।।
*प्रणय प्रभात*
नारी शक्ति का हो 🌹🙏सम्मान🙏
नारी शक्ति का हो 🌹🙏सम्मान🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
वेलेंटाइन एक ऐसा दिन है जिसका सबके ऊपर एक सकारात्मक प्रभाव प
वेलेंटाइन एक ऐसा दिन है जिसका सबके ऊपर एक सकारात्मक प्रभाव प
Rj Anand Prajapati
देवमूर्ति से परे मुक्तिबोध का अक्स / MUSAFIR BAITHA
देवमूर्ति से परे मुक्तिबोध का अक्स / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
गुरुर ज्यादा करोगे
गुरुर ज्यादा करोगे
Harminder Kaur
मुहब्बत
मुहब्बत
अखिलेश 'अखिल'
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
जिस सनातन छत्र ने, किया दुष्टों को माप
जिस सनातन छत्र ने, किया दुष्टों को माप
Vishnu Prasad 'panchotiya'
*Lesser expectations*
*Lesser expectations*
Poonam Matia
गए हो तुम जब से जाना
गए हो तुम जब से जाना
The_dk_poetry
कदमों में बिखर जाए।
कदमों में बिखर जाए।
लक्ष्मी सिंह
“जागू मिथिलावासी जागू”
“जागू मिथिलावासी जागू”
DrLakshman Jha Parimal
भारत की सेना
भारत की सेना
Satish Srijan
रामजी कर देना उपकार
रामजी कर देना उपकार
Seema gupta,Alwar
आखिर वो माँ थी
आखिर वो माँ थी
Dr. Kishan tandon kranti
जामुनी दोहा एकादश
जामुनी दोहा एकादश
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
2682.*पूर्णिका*
2682.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*युगपुरुष राम भरोसे लाल (नाटक)*
*युगपुरुष राम भरोसे लाल (नाटक)*
Ravi Prakash
भारी संकट नीर का, जग में दिखता आज ।
भारी संकट नीर का, जग में दिखता आज ।
Mahendra Narayan
परख: जिस चेहरे पर मुस्कान है, सच्चा वही इंसान है!
परख: जिस चेहरे पर मुस्कान है, सच्चा वही इंसान है!
Rohit Gupta
विनती
विनती
Dr. Upasana Pandey
ॐ शिव शंकर भोले नाथ र
ॐ शिव शंकर भोले नाथ र
Swami Ganganiya
Loading...