” पुरनका विवाह “
( व्यंग अछि आर किछु नहि )
डॉ लक्ष्मण झा”परिमल”
===========
हमर व्याह कहिया भेल
माथ कुड़ियबैत रहलहूँ
स्मरण नहि भेल !
घरवाली सं पुछलियनि
त कहलनि –
“सभा सं भेल छल
मास त आषाढ रहय
गाम मे बाढ़ि रहय
एतबो नहि मोन अछि
‘लोचना’ खबास कांह पर उठेने
सासुर पहूँचोउने छल ” !
परंच हमरा तारीखक जिज्ञासा छल ,
फेसबुक मे कनिया संग
फोटो हमहूं साटय चाहय छलहूँ !!
भइया सं पुछलियनि
भौजी सं पुछलियनि
कियो कहलाह –
“आहांक व्याह मे आम बड्ड भेल छल
सब ठाम थाले -थाल अंगना सब घिनाइत छल !”
सासुरो पहुंचि पता नहि लागल
सिध्यान्तक भोजपत्र मूस सब संघरि गेल
पंजिकारक पोथियो बाढ़ि मे दहा गेल !
आब की करू ?..
हमरो बड्ड मोन करैत अछि
हम अपन दूनू प्राणीक फोटो
फेसबुक मे पोस्ट करितहूँ
आ हमहूँ अपन मित्रक
शुभकामना आ श्रेष्ठ लोकनिक आशीष लिह्तहूँ !!
====================
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल”
दुमका