पुकार
गम के समंदर में,
मुश्किलों के थपेड़े खा,
डगमगा रही मेरी किश्ती
को किनारा दे दे।
या मौला!
सहारा दे दे!!
ज़िन्दगी की राहों में
गुमराह हूँ,
राह-ए-मंज़िल का
इशारा दे दे।
या मौला!
सहारा दे दे!!
मुझे वो चिराग़ दे मौला
जो पूरी हर कमीं कर दे
चमक उसमें हो ऐसी,
जो रौशन हर ज़िन्दगी कर दे।
या मौला! सहारा दे दे!!
✍️अटल©