पुकार
?पुकार?
तुमको पुकारे बावरी,दर्शन दे दो गिरधारी।
मुझ बैरन के तरसे नैना
झलक मुझे दिखला देना।
चोरी करके माखन खावे
यशोदा के जो मन को भावे।
गोकुल हे मोहन का वास
सखियों संग रचावैं रास।
वंशी की धुन सुन हो ग्ई राधा मतवाली
गउयें रंभाती टेर लगाते बछड़े,
देख खेतों की हरियाली।
सुन उर की पुकार वंशीधर,
टेर लगाती दासी दर -दर।।
सुषमा सिंह