पुकारा नहीं
* पुकारा नहीं *
किसी ने हमें जब पुकारा नहीं।
मिलेगा कभी क्या सहारा नहीं।
थका सा पथिक राह पर चल पड़ा,
उसे बीच रुकना गवारा नहीं।
भरोसा स्वयं पर नहीं है जिसे,
खुशी का मिलेगा पिटारा नहीं।
भरी है अनेकों गुलों से मगर,
झुकी डालियों को सहारा नहीं।
नजर जब झुकी तो समझ लीजिए,
सिवा प्यार के और चारा नहीं।
न सँभले अगर तो समझ लीजिए,
समय सामने अब हमारा नहीं।
जरूरी बहुत हैं निभाने सभी,
तभी व्यर्थ वादे गवारा नहीं।
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– सुरेन्द्रपाल वैद्य, २९/०६/२०१८