पुकारती मां भारती !
पुकारती मां भारती !
हिन्दू साम्राज्य के विपुल ,ध्वंस – परिच्छेद को उघारती ,
उद्धृत स्मृतियों में विस्तृत भू-भाग को संवारती ,
निज भुजदण्ड शौर्य – भाल-सिन्धु को प्रवाहति …
पुकारती! पुकारती! पुकारती मां भारती !!!
इन्द्र,वायु ,सूर्य,यम ,अग्नि को पखारती ,
ज्योतिर्गणपति कांतिमान अंश को निखारती ;
दण्ड-प्रकृति, प्रकृति-प्रधान , क्रोधाग्नि को उद्भासती ,
पुकारती! पुकारती! पुकारती मां भारती !!!
महाकुलीन, उच्चाभिलाषी, धीर, दैवबुद्धि- सेनापति ,
दूरदर्शी , प्रियभाषी, सत्यप्रतिज्ञ दृढ़व्रती !
क्षिप्रकारिता – अमर्ष , प्रबल विरोधी को उखाडती ,
पुकारती! पुकारती! पुकारती मां भारती !!!
दुर्भिक्ष-अकाल काल, यथेष्ट अन्न-जल, प्राण- संवहति ,
धन-धान्य-सुवर्ण-चांदी, नाना रत्न पूरित हिरण्यवती ,
विद्या-बुद्धि-साहसगुण, युद्ध कौशल अवधारती ,
पंचप्राण ध्यान में , उत्थान में समाहती !
पुकारती! पुकारती! पुकारती मां भारती !!!
प्राकृतिक स्रोत संपुरित , शाश्वत स्वर्ण युग को उद्घोषती ,
औदक, पार्वत , धान्वन , वन-दुर्ग दृढ़-धारती ;
भू पर व्याप्त ,सर्वत्र कलुष अराजकता विनाशति ;
पुकारती! पुकारती! पुकारती मां भारती !!!
शांति-सुव्यवस्था-सुरक्षा-न्याय कु-पित , रो-रो धिक्कारती ,
धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष चतुर्दिक , अतिक्रमित कराहती ,
दण्ड-शक्ति, दण्ड-नीति आश्रयहीन कलुषति ;
पुकारती! पुकारती! पुकारती मां भारती !!!
काम-क्रोध-मान-लोभ-मोह-मद, वृहद् हर्ष बलवती !
स्वेच्छाचारिता विषैल , अत्यंत विस्तारित प्रसरती ,
निरंकुश शासन तंत्र , अव्यवस्था के उच्छृंखल कृति ;
उत्तिष्ठ ! दुरदर्शी हे गुणावती रागावती !
पुकारती! पुकारती! पुकारती मां भारती !!!
✍? आलोक पाण्डेय
ज्येष्ठ कृष्ण षष्ठी