Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Jun 2020 · 1 min read

पीड़ा में प्रकृति का मन

छिन्न भिन्न किया प्रकृति को,
भींग गये है उसके नयन।
तभी कोरोना तभी अधियाँ,
आफत आई है ये गहन।

मिली अमानत में हमको थी,
सतरंगी प्यारी प्यारी।
छेड़खान करके हम सबने,
रंगों का कर दिया दमन।

स्वर्ग से सुंदर धरती थी ये,
कल्पवृक्ष हर जंगल थे।
काट काट के जंगल हमने,
सुंदरता का किया हवन।

जंगल काटे , सागर पाटे,
हिंसा और रक्तपात किया।
देख रक्त की सरिता भू पे,
पीड़ा में प्रकृति का जहन।

झूठी तकनीकी के नाम पे,
भौतिकता की ख्वाहिश में।
दूषित धरती, दूषित वायू ,
दूषित कर डाला है गगन।

ईश्वर का साक्षात स्वरूप है,
हरी भरी कुदरत सारी।
अपनी संतानों का मरना,
कैसे कर ले भला सहन।

जल वायू आकाश अग्नि,
धरती सबके सब दूषित।
धुँआ धुँआ हर ओर बसा है,
व्यथित बहुत प्रकृति का मन।

संभल गये तो ठीक है वरना,
मिटेगी मानव की बस्ती।
ये आंधी तूफा बस संदेशे है,
संकट तो अब आयेंगे गहन।

प्रकृति के न परेय ऋषभ है,
मानव की कोई हस्ती।
पर्यावरण बचाओ मिलकर,
लगाओ अपना तन मन धन।

ऋषभ तोमर
अम्बाह मुरैना

3 Likes · 545 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
#आज_की_ग़ज़ल
#आज_की_ग़ज़ल
*Author प्रणय प्रभात*
2496.पूर्णिका
2496.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
अच्छा ख़ासा तआरुफ़ है, उनका मेरा,
अच्छा ख़ासा तआरुफ़ है, उनका मेरा,
Shreedhar
एक हैसियत
एक हैसियत
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
होली पर
होली पर
Dr.Pratibha Prakash
होरी के हुरियारे
होरी के हुरियारे
Bodhisatva kastooriya
प्रभु नृसिंह जी
प्रभु नृसिंह जी
Anil chobisa
राजनीति के नशा में, मद्यपान की दशा में,
राजनीति के नशा में, मद्यपान की दशा में,
जगदीश शर्मा सहज
चाय की चुस्की लेते ही कुछ देर तक ऊर्जा शक्ति दे जाती है फिर
चाय की चुस्की लेते ही कुछ देर तक ऊर्जा शक्ति दे जाती है फिर
Shashi kala vyas
धनतेरस के अवसर पर ,
धनतेरस के अवसर पर ,
Yogendra Chaturwedi
"गलतफहमी"
Dr. Kishan tandon kranti
नया सवेरा
नया सवेरा
AMRESH KUMAR VERMA
जलाना आग में ना ही मुझे मिट्टी में दफनाना
जलाना आग में ना ही मुझे मिट्टी में दफनाना
VINOD CHAUHAN
ख्वाहिश
ख्वाहिश
Annu Gurjar
जिद कहो या आदत क्या फर्क,
जिद कहो या आदत क्या फर्क,"रत्न"को
गुप्तरत्न
मात्र क्षणिक आनन्द को,
मात्र क्षणिक आनन्द को,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
कौन किसके बिन अधूरा है
कौन किसके बिन अधूरा है
Ram Krishan Rastogi
मर्दुम-बेज़ारी
मर्दुम-बेज़ारी
Shyam Sundar Subramanian
जीवन !
जीवन !
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
3-फ़क़त है सियासत हक़ीक़त नहीं है
3-फ़क़त है सियासत हक़ीक़त नहीं है
Ajay Kumar Vimal
ज़िन्दगी नाम है चलते रहने का।
ज़िन्दगी नाम है चलते रहने का।
Taj Mohammad
मदहोशी के इन अड्डो को आज जलाने निकला हूं
मदहोशी के इन अड्डो को आज जलाने निकला हूं
कवि दीपक बवेजा
" है वही सुरमा इस जग में ।
Shubham Pandey (S P)
*आते हैं भगवान 【भक्ति गीत】*
*आते हैं भगवान 【भक्ति गीत】*
Ravi Prakash
विषधर
विषधर
Rajesh
हिंदी पखवाडा
हिंदी पखवाडा
Shashi Dhar Kumar
[06/03, 13:44] Dr.Rambali Mishra: *होलिका दहन*
[06/03, 13:44] Dr.Rambali Mishra: *होलिका दहन*
Rambali Mishra
जिंदगी जीना है तो खुशी से जीयों और जीभर के जीयों क्योंकि एक
जिंदगी जीना है तो खुशी से जीयों और जीभर के जीयों क्योंकि एक
जय लगन कुमार हैप्पी
सत्य का संधान
सत्य का संधान
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
फूल बनकर खुशबू बेखेरो तो कोई बात बने
फूल बनकर खुशबू बेखेरो तो कोई बात बने
Er. Sanjay Shrivastava
Loading...