पीर- तराजू के पलड़े में, जीवन रखना होता है ।
पीर- तराजू के पलड़े में, जीवन रखना होता है ।
ध्यान लगाकर मन-कानन में, हर पल तपना होता है ।
सहज नहीं मिल जाते माधव,चंद्र-वदन घन-केशी को –
रोम – रोम से राधा होकर, मोहन जपना होता है ।
अशोक दीप