*पीते-खाते शौक से, सभी समोसा-चाय (कुंडलिया)*
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पीते-खाते शौक से, सभी समोसा-चाय (कुंडलिया)
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पीते-खाते शौक से, सभी समोसा-चाय
मोटे तन के लोग हों, या फिर हों कृशकाय
या फिर हों कृशकाय, रास निर्धन को आता
धनवानों को चाय, समोसा हर दिन भाता
कहते रवि कविराय, तृप्त मन होकर जीते
लिया समोसा एक, चाय अदरक की पीते
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451