पीड़ा..
कवियों की
कविता वाली
पूरे चांद की रातें भी
शोले सी दहकती हैं ,
चुभते हैं रातों में तारे
शूलों से,
पीड़ा में विरह की अब
मुझे मुबारक
सियाह रात अमावस की।।
हिमांशु Kulshrestha
कवियों की
कविता वाली
पूरे चांद की रातें भी
शोले सी दहकती हैं ,
चुभते हैं रातों में तारे
शूलों से,
पीड़ा में विरह की अब
मुझे मुबारक
सियाह रात अमावस की।।
हिमांशु Kulshrestha