— पीठ पीछे वार —
सामने हो कोई तो
दिखावे का सब करते प्यार
जहाँ हुआ थोडा सा दूर
करते वार तब लगातार
बड़े बेशर्म से होते हैं
ऐसे बात करने वाले
मुंह में मक्खन और
दिल से छुरी चलाते हजार
खोजते हैं बहाना
कब करे इस पर वार
जब तक न कर लें दुत्कार
कहाँ चैन पाते हैं वो लगातार
चैन से न जीते न ही
किसी को जीने हैं देते
न जाने क्यूं बनते मुंह के मीठे
दे दे कर ताने हजार
हिम्मत कर नही पाते
सामने आकर वो किसी के कहने की
न जाने भगवान् क्यूं पैदा करता
ऐसे लोग ,जो बनाते फ़साने बार बार !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ