पीजिए प्याला प्रेम का—– गजल / गीतिका
विचारो में घुलता नहीं रंग है।
अपनों में होती जंग है ।।
मनमुटाव में जीते है,आत्मीयता से रीते है
रहते फिर भी संग है।।
देखना पड़ते परिवारों के ऐसे दृश्य।
करते रहते जिंदगी सारी बदरंग है।।
रहती चिंता कमाने की,एक दूजे को मनाने की।
गति विकास की हो रही भंग है।।
विचार एक कीजिए,महत्व एक दूजे को दीजिए।
पीजिए प्याला प्रेम का, जगाता यही उमंग है।।
राजेश व्यास अनुनय