Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Feb 2021 · 1 min read

पिय को पाती

मत्तगयंद सवैया विधान = भगण X 7 +गुरु+गुरु
पिय को पाती

छोड़ि गये किस कारण से अब ढूंढ रही अँखिया दिन राती।
भूल गये परदेश बसे यह सोच सदा धड़के निज छाती।
कारन कौन जु पात पढ़ी नहि लाख लिखी पिय को प्रिय पाती।
भेज रही खत रक्त सनी बस मान यही अब अंतिम थाती।।

देख दशा हिय की सजना सच पागल सी दिन-रात रहूं मैं।
नैन बसा छवि नित्य सतावत सोवत जागत राह गहूं मैं।
भेज रही खत पीर भरा अब कौन विधा यह घात सहूं मैं।
सोच रही पिय से मिल लूं उर से उर की कछु बात कहूं मैं।।

उत्तर – दक्खिन पूरब – पश्चिम साजन को अब ढूंढत नैना।
धाम मिला गर बालम का उनसे मिलकै मिलिबै हिय चैना।
पात लिखी यह बोल सखी अब आप बिना यह जीवन छैना।
आन मिलो शुभ ही शुभ से तव टोह रही मृदु मोहक रैना।।

घोषणा:- यह रचना पूर्णतः स्वरचित, स्वप्रमाणित एवं मौलिक है

✍️पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’
मुसहरवा ( मंशानगर ), पश्चिमी चम्पारण, बिहार
? 9560335952

51 Likes · 85 Comments · 1577 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from संजीव शुक्ल 'सचिन'
View all
You may also like:
हुस्न है नूर तेरा चश्म ए सहर लगता है। साफ शफ्फाफ बदन छूने से भी डर लगता है।
हुस्न है नूर तेरा चश्म ए सहर लगता है। साफ शफ्फाफ बदन छूने से भी डर लगता है।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
कहानी-
कहानी- "खरीदी हुई औरत।" प्रतिभा सुमन शर्मा
Pratibhasharma
बुरे वक्त में भी जो
बुरे वक्त में भी जो
Ranjeet kumar patre
"रात भर"
Dr. Kishan tandon kranti
सृष्टि की रचना हैं
सृष्टि की रचना हैं
Ajit Kumar "Karn"
हमेशा कोई जगह खाली नहीं रहती,
हमेशा कोई जगह खाली नहीं रहती,
Manju sagar
सत्य यह भी
सत्य यह भी
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
सहधर्मनी
सहधर्मनी
Bodhisatva kastooriya
मैं भविष्य की चिंता में अपना वर्तमान नष्ट नहीं करता क्योंकि
मैं भविष्य की चिंता में अपना वर्तमान नष्ट नहीं करता क्योंकि
Rj Anand Prajapati
सुबह का मंजर
सुबह का मंजर
Chitra Bisht
इल्म़
इल्म़
Shyam Sundar Subramanian
रंगमंच कलाकार तुलेंद्र यादव जीवन परिचय
रंगमंच कलाकार तुलेंद्र यादव जीवन परिचय
Tulendra Yadav
🙅आज का ज्ञान🙅
🙅आज का ज्ञान🙅
*प्रणय*
आदिवासी होकर जीना सरल नहीं
आदिवासी होकर जीना सरल नहीं
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
2946.*पूर्णिका*
2946.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
घर
घर
Dheerja Sharma
बथुवे जैसी लड़कियाँ /  ऋतु राज (पूरी कविता...)
बथुवे जैसी लड़कियाँ / ऋतु राज (पूरी कविता...)
Rituraj shivem verma
तेरा कंधे पे सर रखकर - दीपक नीलपदम्
तेरा कंधे पे सर रखकर - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
दुनिया रंग दिखाती है
दुनिया रंग दिखाती है
Surinder blackpen
असफलता का घोर अन्धकार,
असफलता का घोर अन्धकार,
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
ना जाने यूं इश्क़ में एक ही शौक़ पलता है,
ना जाने यूं इश्क़ में एक ही शौक़ पलता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
भोर
भोर
Kanchan Khanna
कुछ लोग
कुछ लोग
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
*भेदा जिसने है चक्रव्यूह, वह ही अभिमन्यु कहाता है (राधेश्याम
*भेदा जिसने है चक्रव्यूह, वह ही अभिमन्यु कहाता है (राधेश्याम
Ravi Prakash
ठहरी - ठहरी जिन्दगी,
ठहरी - ठहरी जिन्दगी,
sushil sarna
तिरंगा
तिरंगा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
गजल ए महक
गजल ए महक
Dr Mukesh 'Aseemit'
हम उफ ना करेंगे।
हम उफ ना करेंगे।
Taj Mohammad
आंसू जता देते है, दर्द कैसा है ?
आंसू जता देते है, दर्द कैसा है ?
पूर्वार्थ
एक इस आदत से, बदनाम यहाँ हम हो गए
एक इस आदत से, बदनाम यहाँ हम हो गए
gurudeenverma198
Loading...