पिया मिलन की आस
कंचन सी कोमल काया,
कंचन रहा सजाये।
रूप अपना देखकर,
गौरी रही लजाये।
पिया-मिलन की आस में,
मन ही मन सकुचाये।
अधरों पर मुस्कान सजी,
पलकें रही झुकाये।
– – रचनाकार :- कंचन खन्ना,
मुरादाबाद, (उ०प्र०, भारत)।
सर्वाधिकार, सुरक्षित (रचनाकार)।
दिनांक :- ०९.०४.२०१८.