पिया बिन सावन की बात क्या करें
तुम हो तो है यह जिंदगी ,बिन तेरे जीवन की बात क्या करें।
जिस घर में मां- बाप है वह घर जन्नत है ,बिन मां बाप के घर आंगन की बात क्या करें।
सखी है पिया है तो सावन है बिन सखी और पिया के सावन की बात क्या करें।
नव गंध, नव पुष्प और है नव ऊर्जा तो है बसंत बिन बसंत के मधुबन की बात क्या करें।
दया है ,हया है ,है मासूमियत तो है सुंदर छवि बिन इन गुणों के चितवन की बात क्या करें।