पितृ-भक्ति
पितृ-भक्ति
सुबह-सुबह विद्यालय के स्टाफ-रूम में अध्यापक नशेर सिंह अपने सहकर्मियों संग बैठा था।
अध्यापक रोहित बोला, “नशेर जी कल स्कूल नहीं आए। कल कहाँ घूम आए?”
नशेर सिंह ने बताया, “यार रोहित कल तो मैं गाँव में चला गया। माता जी बीमार हैं। उनका पता लेने चला गया। रोहित कोई मेडिकल कैम्प लगे, जिसमें श्रवण-यन्त्र बांटे जाते हों, तो बताना। माता जी व पिता जी दोनों परेशान हैं। सुनने वाली मशीन मिल जाए तो दोनों निहाल हो जाएं।”
उनका मोटा वेतन और पितृ-भक्ति देखकर, शिक्षक रोहित सोच रहा था। यही समस्या इनकी पत्नी, बेटा या बेटी को होती तो मेडिकल कैम्प लगने का इंतजार करता।
-विनोद सिल्ला