पितृ देव
पितृ देव उच्चतर चेतना में लीन हैं
देवताओं की तरह अवसिथत हैं
आत्मा की अमरता का प्रतीक हैं
दिव्य चेतना में हमारे नजदीक हैं
पितृ हमारी पुकार भी सुनते हैं
हमारी रक्षा भी करते हैं
धन वैभव पुत्र पुत्रादि से परिपूर्ण करते हैं
अमृत पथ पर अग्रसर करते हैं
ऋतम और सत्यम सनातन संस्कृति में प्रतिष्ठित हैं
धुय्लोक में पितृ देव अर्यमा मनुष्य की प्रकाश यात्रा के प्रतीक हैं
मित्र, वरूण,भग,पूषा, सविता और विष्णु जैसे व्यापक प्रभुत्व वाले देवताओं के साथ होंना
मनुष्य में देवत्व जगाने का आव्हान है
सामाजिक संस्कार, विचार, भौतिक आध्यात्मिक उत्थान मर्यादाएं पितरों पर ही निर्भर है
संपूर्ण सौरमंडल, महासागर, नदियां, वनस्पतियां, औषधियां जीवन प़णालियां पितरों की प्रतिनिधि हैं
पितृ प़भात की रश्मियों पर बैठ कर आते हैं
भयमुक्त जीवन का आधार हमारे आस-पास ही रहते हैं।।
ऊं पितृ देवाय नमः।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी