पितृ देवो भवः
सारी जिंदगी खुद धूप में चलकर जो हमें छांव दे वह है पिता, जो ताउम्र हमारी खुशियों को पूरा करने के लिए देता है जीवन बिता वो है पिता, जीवन के इस मझधार में जो जीने का हुनर दे सिखा वह है पिता, अंधेरे में जो आंखें बन कर रास्ता देता है दिखा वह है पिता…
पिता वह है जिसके बिना जीवन की परिकल्पना मात्र भी अधूरी है, जिसके कारण मेरी हर अभिलाषा होती पूरी है, पिता से ही उपजे हम पिता के बिना नहीं सही जाती दूरी है, जीवन में माता के साथ-साथ पिता का भी प्यार उतना ही जरूरी है, स्वर्ग दिखेगा तुझे पिता के चरणो में ओ पगले अगर करता तू भी पिता की जी हुजूरी है, पिता का प्यार भी जीवन में उतना ही जरूरी है- सुदेश कुमार