पितृ दिवस134
घर की छत जैसे पिता, जिनसे मिलती ठाँव
ख़ुद सहते हैं धूप को, देते हमको छाँव
देते हमको छाँव, सख़्त लगते बाहर से
पर संवेदनशील, बहुत कोमल अंदर से
कहे ‘अर्चना’ बात, हाथ इनका यदि सिर पर
रहते हम निश्चिंत, बनाते ये घर को घर
18-06-2023
डॉ अर्चना गुप्ता