पिता
पिता होना आसान नहीं होता।
ना होते तो मेरा जन्म नहीं होता।
पिता परिवार का वो छत है
जो बारिश और धूप का दीवार बने होते हैं।
घर के हर परेशानियों के दीवार बने होते हैं।
अपने सपनों को मारकर हम सब को पूरा करते हैं।
एक रोटी कम खाकर परिवार को खुश रखते हैं।
खुद फटे कपड़े और नंगे पांव रहते हैं।
परिवार को नये कपड़े और अमीर बनाए रखते हैं।
सच में पिता होना आसान नहीं होता।
ना होते तो मेरा जन्म नहीं होता।
पिता जमीन है पिता जागीर है।
इसी से मां और बेटे की पहचान है।
सच में पिता होना आसान नहीं होता।
ना होते तो मेरा जन्म नहीं होता।
सुशील कुमार चौहान
फारबिसगंज अररिया (बिहार)