पिता
पिता से अस्तित्व हमारा
जो हमको सलोना संसार देता है ।
कर पालन – पोषण हमारा
हमको नूतन आकार भी देता है ।।
जिम्मेदारियों के बोझ लदा
पिता अपने परिवार का विश्वास है ।
कदम डगमगाये अपनों के
थाम ले तब पिता वही आस है ।।
जीवन फुलवारी का पुष्प मैं
अधरों की मेरे पिता मुस्कान है ।
आज जो भी है विस्तार मेरा
वह सब बस पिता का वरदान है ।।
जीवन समर में हार न माने
पिता वह महायोद्धा कहलाता है ।
संभावित आशंकाओं को भांप
मुझे सदा जो बचाए वह खुदा है ।।
डॉ मधु त्रिवेदी
आगरा (उत्तर प्रदेश )