पिता
एक पिता, अपने बच्चो की हर ख्वाईश को पूरा है करता,
इसके लिए घाणी में, बैल की तरह है चलता।
एक छोटी सी खुशी के लिए सपनो से सौदे है करता,
बच्चो की हँसी के लिए दिन रात है फिरता॥
अपनी जिंदगी के सपनो का सौदागर होता है पिता,
गम कि छाँव में भी कभी नही रोता है पिता।
निज तकलीफ को मुस्कुरा कर उड़ा देता है,
जिंदगी के घर में छत का मायना, होता है पिता॥
घर में खुशीयो कि सौगाते लाता है पिता,
परिवार को एकता के सूत्र मे बाँधता है पिता।
गंर परिवार पर कोई मुश्किल आ जाऐ तो,
चट्टान की तरह अड़िग रहता है, पिता॥
आपका अपना
लक्की सिंह चौहान