पिता
जिंदगी के घर में, छत का मायना होता है पिता,
निज तकलीफो में भी, कभी नही रोता है पिता।
अपने सुखो की अभिलाषा को छोड़कर,
संतान के सपनो को साकार करता है पिता।
जो जिंदगी का पहला कदम चलवाता है,
जो हर कदम पर सदैव साथ निभाता है।
जिसके होने मात्र से घर खुशीयो से भर जाता है,
पिता है तो ही घर स्वर्ग बन जाता है।
जिसकी छाया मात्र से घर में अनुशासन आता है,
एकता का पाठ जीवन में पिता ही तो सिखाता है।
परिवार को बांधने की मजबूत सूत होता है पिता,
ओर नीज तकलीफो में भी कभी नही रोता है पिता।
आपका अपना
लक्की सिंह चौहान
ठि.:- बनेड़ा(राजपुर)