पिता
पिता
अंजू मेडम की अश्रुधारा गोदी में बैठे तीसरी कक्षा के छात्र विवेक के हृदय में उतर रही थी | साथ से निकलते हुए गोविंद सर ने देखा तो टोका – ‘अरे वाह ! सदा दुत्कारी जीव और ये आत्मीयता ? सुखद आश्चर्य ! पर मेडम माजरा क्या है ?’
अपनी सुबकाई को बड़ी मुश्किल से रोक कर अंजू मेडम बताने लगी – सर पिता पर लिखे इसके निबंध ने मेरे स्वर्गीय पिता जी की दशा याद दिला दी |
गोविंद सर जानना चाहते थे आखिर उस निबंध में लिखा क्या है ?
उनकी उत्सुकता शांत करने हेतु अंजू मेडम ने बालक विवेक का लिखा निबंध पढ़ा –
‘पिता मेरे लिए एक खौफ है |
उसकी लाल-लाल आँखों से डर लगता है |
एक दिन मेरे द्वारा उसकी सफ़ेद पाउडर की पुड़िया (जिसे वह बहुत कीमती कहता था) बिखर जाने के बाद से तो यह खौफ हर दिन बढ़ता ही चला आ रहा है |’