पिता
रिश्तो का मिठास सबन्ध है
पिता परिवार का गृह बंधन है ।
परिवार की हिम्मत और आस है
पिता एक उम्मीद और विश्वास है ।
पिता नारियल जैसा कठोर और अंदर से नर्म है
ह्रदय में दफन और अंदर से मर्म है ।
बचपन की गलियों में याद दिलाने वाला उजला है
बुढ़ापे में गीत गुंजन वाला तबला है ।
पिता जिम्दारियों से लदी गाड़ी का सारथी है ,,
सबको बराबर हक मिले वो महारथी है ।
रात दिन एक करने का कमरकस फटा बनियान है
बच्चों का विकास प्रतिदिन यही उसका ध्यान है
।
संघर्षों के मैदान में आंधियों में खड़े हौसलों की दीवार है ,,
वो ताबड़तोड़ परेशानियों से लड़ने की दो धारी तलवार है ।
पिता जीवन के खेत में चलने वाला हल है ,,,
जिंदगी के दरमियान में सबल है ।
बचपनापन की चादर में धूम मचाने वाला वो एक खिलौना है
नींद लगे तो पेट पर सुलाने वाला बिछोना है ।
पिता दाल आटा खून पसीने की जाली है
सब सदस्य को सुख चैन का भोजन मिले वो एक थाली है ।
पिता माँ के चाँद का सुहागन मुखड़ा है ,
हंसी ख़ुशी खूबसूरत लम्हे का टुकड़ा है ।
पालकर एक कली को देता जीवनदान है ,,
बढ़ा कर ,भारी मन से देता
दुसरे की खुशीयो का कन्यादान है ।
✍प्रवीण शर्मा ताल
स्वरचित कापीराइट कविता
त्तहसील ताल जिला रतलाम
दिनांक 26 /04/2018