“पिता”
“पिता”
!!!!!!!!!!
किस परिस्थिति में एक “पिता”
संभालते हैं घर-परिवार अपना !
एक पिता ही इसे समझ सकते ,
दु:ख-दर्द सहते वे रोज़ कितना!!
दिन-रात मेहनत वे करते रहते ,
दो वक्त की रोटियाॅं कमाने को !
कैसे चलेगा घर संसार अपना ,
बस, यही चिंता दूर भगाने को!!
बच्चों के भविष्य की चिंता रहती ,
कि कैसे वे दुनिया से दो-चार होंगे !
आनेवाली विकट सी परिस्थिति से ,
जूझते कल का सुदृढ़ आधार होंगे!!
पिता अपना दर्द कभी नहीं बताते ,
घर – परिवार का दर्द सुनते जाते हैं !
संतति जब भी किसी कष्ट में होते…
उसे हौसला अफ़ज़ाई करते जाते हैं!!
पिता सा अमूल्य धन दूजा न कोई ,
छत्र-छाया में निष्फिक्र सब रहते हैं !
दुर्भाग्यवश संकट में घिर जाते कोई ,
तो बस पिता को याद करते जाते हैं!!
( स्वरचित एवं मौलिक )
( सर्वाधिकार सुरक्षित )
© अजित कुमार “कर्ण” ✍️
~ किशनगंज ( बिहार )
तिथि : १६ / ०६ / २०२२.
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