पिता
प्रतियोगिता का अंतिम दिवस भी आ रहा।
पिता पर क्या लिखूं समझ नही आ रहा।।
हाथों में मेरे जिन्होंने कलम पकड़ाया था।
कागज पर क्या लिखना है सिखलाया था।।
पर कभी अपने बारे में नही बतलाया था।
पिता की उंगली थाम कर मैं इतराया था।।
कंधे पर पिता का एक हाथ बल देता है।
पिता मेरी हर मुश्किल का हल देता है।।
खुशियां हमको देकर जो गम ओढ़ लेता है
सारे दुखों का रास्ता जो झट से मोड़ देता है
ऐसे पिता के चरणों में सदा नमन है मेरा
मेरा पिता मेरा ईमान है और गुमान है मेरा