पिता
तुम्हारी छाया में बड़ा सुख पाया है,
मैं तुम्हारा ही अक्स हूँ, तुम ही ने मुझे बनाया है|
कभी डांटा कभी चांटा ,अक्सर गोदी में उठाया है|
मुझे आकार देने में तुमने अपना सर्वस्व लगाया है|
मीरा का समर्पण ,कबीर का आत्मज्ञान,
जातक कथाएं या फिर अकबर बीरबल के किस्से,
तुमने मुझे सब कुछ सुनाया है|
लड़खड़ाना ,डगमगाना ,गिरना सब घटा जीवन में,
दूने उत्साह से खड़े होना ,तुमने ही तो सिखाया है|
तुम आशीर्वाद हो मेरे जीवन में और मैं तुम्हारी प्रार्थना,
मैंने अपने सर पर हमेशा तुम्हारा हाथ पाया है|