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2 Jun 2022 · 1 min read

पिता

बचपन मे अपने कंधे पर बिठाता है
धीरे-धीरे सहार दे खड़ा होना सिखाता है
उंगली पकड़ कर चलना भी बताता है
दौड़ते वक्त वो गिरने से बचाता है
वो और कोई नहीं मेरा पिता है।
सुबह उठकर स्कूल छोड़कर आता है
बिमार होने पर दवा दिला कर लाता है
नाराज़ होऊं तो बड़े लाड से मनाता है
गलती करूँ तो वो फटकार भी लगाता है
वो और कोई नहीं मेरा पिता है।
छोटी से छोटी ख्वाहिश पूरी करता है
देर से लौटने पर चिंतित भी हो जाता है
आंखों में आंसू ना आए उसका ख्याल भी रखता है
मैं सदैव मुस्कुराती रहूँ वो उसका ध्यान भी करता है
वो और कोई नहीं मेरा पिता है
अपने पैरों के दर्द को भी नज़रअंदाज़ कर देता है
एक बार कहने पर ही घुमाने ले चलता है
बड़ी सफाई से अपने जज्बात छुपा लेता है
मुझ पर आने वाली तकलीफों को वो रोक देता है
वो और कोई नहीं मेरा पिता है।
अपने से ज्यादा मेरी फिक्र करता है
बिना कहे कोई बात वो सब कुछ समझ जाता है
कुछ मांगने से पहले ही वो सामने रख देता है
खुद से ज्यादा मुझ पर वो अपनी जान लुटाता है
वो और कोई नहीं मेरा पिता है।

नव्या
गुरुग्राम

2 Likes · 2 Comments · 186 Views
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