पिता
मैं भर लूंगी आसमां को मुट्ठी में,
मेरे पास पिता जो हैं।
मैं कर लूंगी हर सपने साकार,
मेरे पास पिता जो हैं।
मैं लड़ जाऊंगी दुनिया से,
मेरे पास पिता जो हैं।
मैं चढ़ जाऊंगी पर्वत पर पे,
मेरे पास पिता जो हैं।
मैं क्यों परदे की ओट में रहूं,
मेरे पास पिता जो हैं।
मैं क्यों ना हर क़दम बढूं,
मेरे पास पिता जो हैं।
मैं क्यों कोई जुल्म सहूं,
मेरे पास पिता जो हैं।
मैं फिर क्यों किसी से डरूं,
मेरे पास पिता जो हैं।
हैं मेरे पास पिता जो, तो फिर क्या गम है,
दौलत का अंबार ना सही, पिता हैं तो क्या कम है।
आराध्या राज ( बोकारो)