पिता मेरे
आप खुश रहे ,आबाद रहे ,
आपके चेहरे की मुस्कान ,
सदा महकती रहे ।
रब करे आपके सिर पर ,
हमेशा इज्जत का ताज रहे ।
ओ पिता मेरे….….. ओ पिता मेरे।
बेटी बनकर आपके घर में,
जब जन्म मैंने लिया ।
तो आस पड़ोस में बहुत शोर हुआ ,
आपकी आंख से खुशी के आंसू छलके ,
कहा मेरे घर नन्ही परी है आई ।
सुन परिवार में हैरानी है छाई ।
ओ पिता मेरे …… ओ पिता मेरे।
मेरे नन्हे कदमों को स्कूल दिया ,
हर वक्त अपने साथ रखा।
ने कभी गिरने दिया,
किताबों का ज्ञान भले थोड़ा दिया ,
पर एक अच्छा इंसान बना दिया ।
मेरे हर दुख को खुशियों में मोड़ दिया।
ओ पिता मेरे.…ओ पिता मेरे।
✍️ सुतीषा राजपूत (बरवाला),
हरियाणा (पंचकुला)।
स्वरचित ।