‘पिता’ ,मां से कम नही होते
घर की दीवारों सब को दिखती हैं
मगर छत किसी को नही दिखती
मां की डाट में भी प्यार सब को दिखता
मगर पिता की डाट में नही दिखती
मां दिनभर रसोईघर में खड़ी सब को दिखती है
मगर दिनरात पाई-पाई के लिए पिता
की मेहनत हर किसी को नही दिखती
मां के दुध की महानता हर कोई लिखता है
मगर पिता के खून पसीने की कमाई
महान किसी को नही लगती
हां ये सच है कि मां ने दिया है अस्तित्व हमको
ये भी सच है पिता नही होते तो हम नही होते
हां मां होती हैं महान मगर ‘पिता’ ,मां से कम नही होते