पिता – जीवन का आधार
हाँ पिता ही हैं, जीवन का आधार
घर की खुशियाँ पिता से ही हैं,
मुझे याद है अभी भी –
मेरी उँगली पकड़कर, बाजार को ले जाते
जब मैं थक जाता तो कन्धे पे बिठाके खूब सैर कराते ।
पिता पूरे परिवार को एक सूत्र में बाँधता है,
अपनी खुशियों को बच्चों की तरक्की में खोजता है,
बच्चों में अच्छे संस्कार के लिए
माँ के साथ पिता का भी अहम योगदान रहता है ।
बाहर से कठोर , अन्दर से कोमल
हाँ नारियल सा अस्तित्व रहता है,
पिता की छत्र – छाया में घर सुसज्जित
एवं सुरक्षित रहता है ।
जमाने भर का बोझ, वह बच्चों के लिए उठाता है,
लालन – पालन में कोई कमी न आ जाये,
इसलिए जी तोड़ मेहनत करता है,
बच्चों के सपनों को पूरा करने के लिए
हमेशा तत्पर रहता है ।
पिता तो ईश्वर की नेमत है,
पिता तो भौतिक एवं रासायनिक आधार है,
पिता से ही तो सारा जहां है,
माँ यदि धरती तो पिता आसमाँ है ।।
– आनन्द कुमार
हरदोई (उत्तर प्रदेश)