हर एक रिश्ता निभाता पिता है –गीतिका
पिता
गीतिका
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हमें पाठ सच का पढ़ाता पिता है ।
कि हर एक रिश्ता निभाता पिता है ।
वो देता है हर एक प्रश्नों का उत्तर ,
जो दुनिया का परिचय कराता पिता है ।
सजाता है रोचक खिलौनों से घर को ,
जो अँगुली पकड़कर चलाता पिता है ।
दुखों या गरीबी से लड़कर हमेशा ,
जो भूखा रहे पर खिलाता पिता है ।
रहा यार चुप वो मेरी जिद के आगे ,
जो ख़ुद हार हमको जिताता पिता है ।
वफ़ादार सेवक है साथी सदा का ,
सिखाता पढ़ाता विधाता पिता है ।
महज़ प्यार रकमिश है फटकार उसकी ,
तेरे दर्द से छटपटाता पिता है ।
– रकमिश सुल्तानपुरी