पिता खुशियों का द्वार है।
पुत्र कृति है, रचनाकार पिता,,,
पुत्र सृष्टि है निर्माण कर्ता पिता।।
पुत्र का संपूर्ण संसार है पिता,,,
इसका परिपूर्ण आकार विस्तार हैं पिता।।
समंदर की थाह,अथाह हैं पिता,,,
कल्पतरू, परिजात हैं पिता।।
पुत्र की तृष्णा जो मिटा दे,,,
वह बरसात हैं पिता।।
सारी जन्नतें अधूरी है बिन पिता के,,,
पुत्र की मन्नते पूरी है पिता से कहने से।।
पिता के आगे नभ भी छोटा लगता है,,,
पिता के अपनत्व से जग भी छोटा लगता है।।
आसमान सा पिता विस्तृत होता है,,,
सबसे बड़ा हित,चिंतक पिता होता है।।
तन, मन, धन से पिता समर्पित रहता है,,,
परिवार के लिए सदैव जीवन अर्पित करता है।।
बचपन से जीवन भर पिता हर दस्तावेज में साथ चलता है,,,
उसके नाम बिना दुनियां में पुत्र का कोई काम ना होता है।।
पुत्र की शिराओं में पिता का रक्त बहता है,,,
वो पुत्र के अंदर जीवन पर्यन्त चलता है।।
पुत्री के लिए सर का ताज होता है,,,
उसमें भी वह रक्त रूप में अविरल बहता है।।
मां अश्रुधारा तो पिता संयम का बांध होता है,,,
चोट लगने पर यदि”ओह मां”तो घबराने पर “अरे बाप रे”भी मुंह से निकलता है।।
असमंजस के क्षण पिता विश्वास देता है,,,
यह विश्वास,आत्मविश्वास बन जाता है।।
कोटि कोटि नमन उस पिता को जिसने
चलना सिखलाया है,,,
सुख दुख के हर क्षण में पिता ने
साथ निभाया है।।
पुत्र पिता में सदा देखता आस है,,,
पिता में ही पुत्र का संपूर्ण विश्वास है।।
पिता जीवन में महारथी होता है,,,
पिता पुत्र की जिम्मेदारियों के रथ का सारथी होता है।।
ईश्वर के ही रूप में पिता का शरीर है,,,
जिसका पिता है वह दुनियाँ में अमीर है।।
परिवार में पिता खुशीयों का द्वार है,,,
पत्नी,बच्चो से सदा ही करता वह प्यार है।।
पिता बंजर ज़मीन का किसान है,,,
पिता उम्मीदों भरा एक आसमान है।।
पिता एक इम्तिहान है,,,
जिसको पढ़ना बड़ा आसान है।।
पिता भक्ति के योग्य है,,,
पिता,पुत्र का मिलना बड़ा संयोग है।।
पुत्र,पिता रूपी वटु वृक्ष की साख है,,,
जो देता हमेशा पुत्र को छांव है।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ
पिता