पिता की याद
“एक छोटी सी बच्ची जो अपने पापा को नहीं मिल पाती अपनी माँ को शिकायत करती है ”
माँ तुम मुझे सुबह जल्दी उठाती क्यों नहीं
लेट हो गई हो कहकर नहलाती क्यों नहीं ,
माँ मेरा लंच बाक्स लगाती क्यों नहीं
कुछ अच्छा पकाती क्यों नहीं,
माँ मुझे किताबें दिलाती क्यों नहीं
मेरा स्कूल बैग लगाती क्यों नहीं,
माँ हमारे घर के सामने वैन हान्न बजाती क्यों नहीं
मुझे ए, बी, सी, डी पढाती क्यों नहीं,
माँ मुझे सुंदर कपड़े अच्छे खिलौने दिलाती क्यों नहीं
मुझे क्या बनना है माँ मुझे बताती क्यों नहीं,
माँ – “काश तेरे पापा होते”
इतनी लाचार मै होती नहीं दूसरो के घरों में मै
चुला, चौका, झाड़ू, पोछा मै करती नहीं,
जब वो साथ थे सभी सगे संबंधि थे
आज सभी छोड़ कर चले गए,
अब किसी को हमारी याद नहीं आती
अकेले मै ये सब नहीं कर पाती,
काश तेरे पापा होते तो मै यू बुढीया सी न लगती
मै भी चुडी ,बिंदी, और गहने खरीद पाती,
काश तेरे पापा होते
तेरे सारे सपने सच कर देते |