पिता की महानता
पिता
शीतल पेड़ों जैसे बगीचे वाले गांव हैं पिता
चिलचिलाती तेज गर्मी में भी छांव हैं पिता।
उन्होंने अपने पूरे घर की जिम्मेदारी रखी है,
बीच मझधार में बन जाते, वो नांव हैं पिता।
कभी अपने कंधे पर बिठा, दुनिया घुमाते हैं
अपनों के संग वो भाव रखते घराॅंव हैं पिता।
बच्चों को स्वाभिमानी बनना, वो सिखाते हैं
बच्चों के लिए तो,एक मजबूत पांव हैं पिता।
जिंदगी के हर पहलू में वो अनुभव बताते हैं
इस सारे जग में,एक सुरक्षित ठाॅंव है पिता।
©अभिषेक श्रीवास्तव “शिवाजी”✓