पिता का दर्द
***** पिता का दर्द ******
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पिता उम्र भर है दर्द छिपाए
दर्द सह कर भी फर्ज निभाए
दुलार प्यार से संतान पालता
औलाद हो बेकार,कैसे बताए
जवान सपूत परलोक जाए
दांया हाथ टूटे,अपंग हो जाए
नशे के कारोबार ने भी लूटा
नशों की बलि पुत्र चढ़ जाए
सीधै मुँह संतति बात ना करे
बाप सम्मान है लुप्त हो जाए
कुसंगति की पंक्ति में वो पड़े
पिता का सीना सिकुड़ जाए
घर में सर्वगण संतुष्ट है करे
निज अरमान भाड़ में जाएं
मनसीरत पितातुल्य न कोई
भूखे पेट रहके सलवटें खाए
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)