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21 May 2022 · 2 min read

पिताजी

—— पिताजी ——

सदा बात सच्ची बताते पिताजी।
सही राह हमको चलाते पिताजी।।

अगर रूठ जायें किसी बात पर हम।
गले से लगाकर मनाते पिताजी।।

हमें हर खुशी मिल सके इस लिए तो
पसीना बहुत हैं बहाते पिताजी।।

हमारी सभी गलतियों को समझते ।
पकड़ हाथ हमको सिखाते पिताजी।।

बुरी आदतों से हमेशा बचाते।
बुरी संगतों से छुड़ाते पिताजी।।

बहुत कीमती है समय ज़िन्दगी का।
सुबह शीघ्र हमको जगाते पिताजी।।

असम्भव नहीं कुछ यहाँ प्राप्त करना।
हमें श्रम की महिमा सुनाते पिताजी।।

हमें मुश्किलें झेल कर पालते हैं।
गमों को छिपा मुस्कुराते पिताजी।।

सजाते सभी स्वप्न हँसकर हमारे।
सभी दर्द दुख हैं उठाते पिताजी।।

—— विनोद शर्मा “साग़र ”
गुरुदेवनगर हरगाँव
जनपद- सीतापुर
उ प्र
सम्पर्क सूत्र — 9415572588

===================================
●रचनाकार का घोषणा पत्र●

1–इस प्रतियोगिता में मेरे द्वारा सम्मलित सभी रचनाएं मेरी स्वरचित एवं मौलिक रचनाएं है जिनको प्रकाशित करने का कॉपीराइट मेरे पास है और मैं स्वेच्छा से इन रचनाओं को साहित्यपीडिया की इस प्रतियोगिता में सम्मलित कर रहा हूँ।

2–मैं साहित्यपीडिया को अपने संग्रह/पुस्तक में इन्हे प्रकाशित करने का अधिकार प्रदान करता हूँ।

3–मैं इस प्रतियोगिता के एवं साहित्यपीडिया पर रचना प्रकाशन के सभी नियम एवं शर्तों से पूरी तरह सहमत हूँ। अगर मेरे द्वारा किसी नियम का उल्लंघन होता है, तो उसकी पूरी जिम्मेदारी सिर्फ मेरी होगी।

4–साहित्यपीडिया के काव्य संग्रह में अपनी इस रचना के प्रकाशन के लिए मैं साहित्यपीडिया से किसी भी तरह के मानदेय या भेंट की पुस्तक प्रति का अधिकारी नहीं हूँ और न ही मैं इस प्रकार का कोई दावा करूँगा।

5–अगर मेरे द्वारा दी गयी कोई भी सूचना ग़लत निकलती है या मेरी रचना किसी के कॉपीराइट का उल्लंघन करती है तो इसकी पूरी ज़िम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ मेरी है, साहित्यपीडिया का इसमें कोई दायित्व नहीं होगा।

6–मैं समझता हूँ कि अगर मेरी रचनाएं साहित्यपीडिया के नियमों के अनुसार नहीं हुई तो उन्हें इस प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह में शामिल नहीं किया जायेगा; रचनाओं के प्रकाशन को लेकर साहित्यपीडिया टीम का निर्णय ही अंतिम होगा और मुझे वह निर्णय स्वीकार होगा।

—– विनोद शर्मा “साग़र”
गुरुदेवनगर हरगाँव
जनपद सीतापुर
उ प्र

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