पिताजी हमारे
गर्मियों का पंखा व सर्दियों का कंबल हैं पिताजी हमारे।
समस्त परिवार का शक्तिशाली संबल हैं पिताजी हमारे।
खुशियों व उपहारों से भरा कोई पल हैं पिताजी हमारे।
बीता कल, आज व आने वाला कल हैं पिताजी हमारे।
क्षमता की मूरत व श्रम का पूर्ण-फल हैं पिताजी हमारे।
माता गंगा जैसी हैं तो पवित्र गंगाजल हैं पिताजी हमारे।
सब रिश्तों में सर्वोपरि, प्रेम निश्च्छल हैं पिताजी हमारे।
यों कड़े अनुशासन की धारा अविरल हैं पिताजी हमारे।
माॅं अनंत साधना तो सुख के साधन हैं पिताजी हमारे।
कॅंटीले जगत में भी आनंदित सावन हैं पिताजी हमारे।
ढूँढे से भी न मिले कहीं, खरा कुंदन हैं पिताजी हमारे।
रिश्ते विष का प्याला, औषधीय वन हैं पिताजी हमारे।