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30 Sep 2023 · 1 min read

पितरों के लिए

पितरों के लिए
घर पावन हो जाता है।
नेह बरसता उन पितरों का,
जन्मों -जन्मों का नाता है।

जीते जी जो माता-पिता की,
महिमा समझ न पाता है।
वंचित होता पुण्य कर्म से,
तीनो लोक से जाता है।

माता -पिता के श्री चरणों में,
सारा जग समाया है।
सहज भाव से कर लो तर्पण,
पक्ष श्राद्ध का आया है।

कर्म प्रधान है समझ के रखो,
मोक्ष – द्वार ले जाता है।
निष्काम कर्म करने वाला ही,
परमगति को पाता है।

जिन्दा इंसान यदि मारे तो,
तब मुक्ति कैसे पाओगे?
आज जा रहा है वो ऊपर,
कल तू भी ऊपर जाओगे।

संस्कार सिखाओ बच्चों को,
सब एक साथ सध जाएगा।
राजा भगीरथ के जैसे,
तर कर पितरों को तारेगा।
दीपाली अमित कालरा

Language: Hindi
1 Like · 189 Views

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